भारतीय नारी की स्थिति व सुदंरता !
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Indian Woman |
प्रस्तावना:-
भारतीय नारी का एक अलग ही स्वरुप है। भारत हमेशा से नारी जाति का सम्मान करता आया हैं। ऐसे में यह कहना ग़लत नहीं होगा कि भारत में महिलाओं का एक अलग रुप हैं। यह अपने हर कर्त्तव्य को निभाती है। कभी बेटी, बहन, पत्नी तो कभी मां के सभी रिश्ते निभाती हैं। हालांकि भारत देश में नारी को देवी का दर्जा दिया गया है। लेकिन यह बात सच है। कि प्राचीन काल में महिलाओं को बहुत से अधिकार हासिल नहीं थे।
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महिलाओं को लेकर प्राचीन काल में लोगों का दृष्टिकोण अलग था। समाज का मानना था कि नारी तो पराया धन होती है। जो विवाह करके दूसरे घर चली जाएगी और इसी कारण पुरूषों को महिलाओं से ज्यादा अधिकार हासिल थे। लड़कियों से कहा जाता था कि मायके में रहो या ससुराल में करना तो चूल्हा चौका ही है। इसमें पढ़ाई की क्या जरूरत है।
"लड़कियों को ना ही घर से बाहर निकलने की आजादी थी और ना ही अपने सपने पूरे करने की"!
लेकिन वक्त बदला और वक्त के साथ समाज की सोच बदली आज लड़कियों को शिक्षा भी मिल रही है और अपने सपने भी। लड़कियां पढ़-लिख कर नौकरी भी कर रही है और उन्हें पूरी आजादी भी है वो जो चाहें कर सकती हैं।
भारतीय नारी पर शायरी:-
सुंदरता का रुप हैं, नारी
घर की गृह लक्ष्मी है, नारी।
संसार चलता जिससे वह किस कदर रूठ बैठी है
दूसरों को हंसाती है, पर खुद ही रोती है।
रोज सुबह जल्दी उठकर काम निपटा देती है,सारा
घर बाहर का सब कुछ करना ताकि कोई रुठे ना दोबारा।
हर धर्म यह निभाती है, फिर भी ऊंगली इसी पर उठती है।
अच्छा करो या बुरा सज़ा तो इसे ही मिलती है।
हर विपदा से यह लड लेती है, हर दुख को खुशी में बदल देती है।
दूसरों को खुश करने के चक्कर में न जाने वह कितने दुख सहती है।
अपना हर कर्म करके आखिर इसी ने तो दिखाया है कि नारी शक्ति है। क्या, जो सारे जग से डरती थी, आज सारा जग उसी से डर रहा है।
भारतीय नारी की सुंदरता:-
भारतीय नारी की सुंदरता में एक अलग ही सादगी है। दुनियां में भारतीय नारी की सुंदरता एक अलग ही निखार लाती है। जहां वो गले में मंगलसूत्र तो मांग में सिंदूर, हाथों में कंगन, पैरों में पायल या कानों में झुमके जैसे आभूषणों का प्रयोग कर अपनी सुन्दरता को और बढ़ा देती है। जहां भारतीय नारी अपने हर कर्त्तव्य को पूरे दायित्व के साथ निभाती है जिसमें वह अपने पति की लम्बी उम्र की कामना के लिए करवा चौथ का व्रत रखती है। कभी-कभी वह निर्जल व्रत भी करती है और हरितालिका तीज व्रत, गणेश चतुर्थी व्रत आदि करती है।
भारतीय नारी का मुख्य रुप से परिधान साड़ी है। जिसे महिलाएं भारत में प्राचीन काल से लेकर अब तक साड़ी पहनती आ रही है। आज भी महिलाओं की आधी से ज्यादा आबादी साड़ी पहनती हैं। आसान भाषा में कहें तो साड़ी भारतीय नारी की शान हैं।
भारतीय नारी की स्थिति:-
प्राचीन काल में महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार किया जाता था। लेकिन आज ऐसा नहीं है धीरे-धीरे सब कुछ बदल रहा है। अब भारतीय नारी की स्थिति बहुत अच्छी है। क्योंकि अब नारी को वो सारे अधिकार प्राप्त है जो एक पुरुष को होते हैं। नारी के असंख्य रूप हैं। शास्त्रों एवं साहित्य में कहा गया है कि वैदिक काल में महिलाएं पूर्ण रूप से स्वतंत्र होती थी उन पर किसी भी प्रकार का प्रतिबंध नहीं होता था।
प्राचीन काल में महिलाएं बहुत सी कुप्रथाओं का शिकार थीं। जिनसे मुक्ति दिलाने के लिए कवियों ने बहुत से प्रयास किए। भक्ति कालीन युग में कबीर ने महिलाओं की आलोचना की थी। साथ ही ईश्वर प्राप्ति के मार्ग में कबीर ने महिलाओं को बाधक बताया।
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वहीं तुलसी दास ने नारी जाति का सम्मान किया। इसी युग में सूरदास ने नारी को राधा के रुप में प्रस्तुत किया। लेकिन आज के युग में समाज का महिलाओं के प्रति दृष्टिकोण बदला है। आज नारी हर क्षेत्र में प्रगति कर रही है तथा महिलाओं को आज शिक्षा एवं रोजगार व अपने सपने पूरे करने की आजादी है। महिलाओं को आज राजनीति एवं सैन्य शिक्षा का अधिकार है।
भारत की बेटी कल्पना चावला ने एस्ट्रोनॉट बनकर भारत का नाम रोशन किया। मदर टेरेसा ने समाज की उन्नति के लिए बहुत से कार्य किए। उन्होंने गरीबों और जरूरतमंदों के लिए अनगिनत कार्य किए, वह एक मिसाल कायम है। सरोजिनी नायडू देश की पहली महिला गवर्नर थी। उन्होंने एक स्वतंत्रता सेनानी के रूप में कार्य किए थे।
विजय लक्ष्मी पंडित, कस्तूरबा गांधी, कमला नेहरू जैसी महिलाओं ने अंग्रेजों के विरुद्ध अपनी भूमिका निभाई।
आज नारी शिक्षित हैं और हर फैसले खुद लेने में सक्षम हैं। सरकार ने भी महिलाओं की उन्नति के लिए कई कार्य किए हैं। मोदी सरकार ने बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ जैसे सफल अभियान चलाए हैं।
भारत की प्रथम महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और अंग्रेजों से अकेले लड़ने वाली रानी लक्ष्मीबाई जिन पर आज पूरे देश को गर्व है।
भारतीय नारी शक्ति:-
संसार की आधी से ज्यादा आबादी महिलाओं की हैं। नारी शब्द में एक अलग ही ऊर्जा है। नारी मानवता की ही नहीं बल्कि मानवता के संपूर्ण गुणों की जन्मदात्री हैं। एक नारी में कितनी शक्ति है इसका संसार अनुभव भी नहीं कर सकता।
नारी को देवी का दर्जा देने वाले भारत में यह उपाधि नारी ने खुद हासिल की हैं। भारतीय महिलाओं ने ना सिर्फ शिक्षा बल्कि राजनीति, खेल- कूद, उद्योग, फिल्मों या फिर समाज सेवा, महिलाऐं, पुरूषों को अपने से आगे जाने का एक भी मौका नहीं दे रही हैं।
कुछ मुख्य भारतीय महिलाएं जिनमें सबसे पहले नाम आता है-
रानी लक्ष्मीबाई:-
जिनका जन्म 1828 में हुआ। 1857 में अंग्रेजों से अकेले लड़ने वाली और आग बनकर अंग्रेजों को जलाकर भस्म कर दिया। सन् 1858 मे उनका देहांत हो गया।
इंदिरा गांधी:-
सन् 1919 को इनका जन्म हुआ। यह देश की पहली प्रधानमंत्री बनी और बांग्लादेश को आजाद करवाया। सन् 1984 में इनकी मृत्यु हो गई।
कस्तूरबा गांधी:-
इनका जन्म 1869 में हुआ। महात्मा गांधी के साथ हर आंदोलन में भाग लिया तथा भारत छोड़ो आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लिया। सन् 1944 में इनकी मृत्यु हो गई।
नारी शक्ति पुरस्कार:-
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की तरफ से महिलाओं के लिए सबसे सर्वोत्तम नागरिक सम्मान नारी शक्ति पुरस्कार 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर उनको दिया जाता है। जो महिलाओं को सशक्त बनाने की दिशा में निरंतर प्रयास कर रहे हैं और समाज में महिलाओं की प्रगति और विकास के लिए विशेष योगदान देता है।
भारतीय नारी पर कविता:-
कुछ मांगा नहीं, कुछ चाहा नहीं,
बदला बस खुद को, कि रिश्ता टूट ना जाए कहीं।
आदतों को बदला, चाहतों को बदला,
भले मेरे अरमानों ने, अपनी करवट को बदला।
समन्दर की एक बूंद, बन जाऊं भले,
बस समन्दर में, मेरा अस्तित्व तो रहे।
समन्दर से सिखा मैंने, जीने का सलीका,
चुपचाप से बहना और, अपनी ही खुशी में खोए रहना।
भारतीय नारी की वास्तविक स्थिति:-
माना की आज नारी की स्थिति अच्छी है। साथ ही साथ उसे बहुत से अधिकार प्राप्त है। लेकिन कुछ रूढ़िवादी लोग आज भी यह ही सोचते है कि नारी शक्ति का पढ़ना और पुरुषों के समान अधिकार देना ग़लत है। इसीलिए कुछ महिलाएं आज भी इन रूढ़िवादी लोगों की वजह से अपने अधिकार नहीं ले पा रही है। ऐसे में युवा लोगों को इन रूढ़िवादी लोगों की सोच बदलनी चाहिए। हालांकि अगर महिलाओ के अधिकारों का हनन् होता है तो वह प्रशासन की मदद ले ताकि उन्हें उनके अधिकार मिल सके।
बीसवीं शताब्दी के आरंभ में भारत के राष्ट्रीय आंदोलन के साथ ही सामाजिक आंदोलन शुरू हुआ। समाज में एक जागृति की लहर दौडी़।
राजा राम मोहन राय तथा महर्षि दयानंद के द्धारा समाज की कुप्रथाओं को समाप्त किया जाने लगा। नारी समाज की ओर विशेष ध्यान दिया गया। आगे चलकर महात्मा गांधी के नेतृत्व में क्रांति हुई। जनता ने नारी के महत्व को समझना शुरू किया।
वास्तव में नारी अनेक शक्तियों से युक्त अनेकरुपा हैं। उसके कल्याण एवं विकास की कामना प्रत्यक भारतीय का पवित्र कर्तव्य है।
"सरस्वती दुर्गा कमला यह, नारी के ही रुप हैं।
रत्न-प्रसविनी जंग में नारी, इसके रुप अनूप।"
निष्कर्ष:-
नारी जाति के शोर्य और वीरता के बारे में जितनी ज्यादा चर्चा करें उतनी ही कम है। यहां भारतीय नारी की विस्तार पूर्वक हर मुद्दे पर गम्भीरता से चर्चा की गई है। यहां हमने आपको भारतीय नारी का स्वरुप, भारतीय नारी की सुंदरता, भारतीय नारी की स्थिति, भारतीय नारी पर शायरी, कविता एवं नारी शक्ति पुरस्कार आदि। बहुत ही कम शब्दों में हमने आपको नारी के अस्तित्व को समझाने की कोशिश की है।
हमें उम्मीद है कि आप इस मुद्दे को गंभीरता से लेंगे।
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