Class 10th chapter 2. अम्ल, क्षारक एवं लवण NCERT solution 2021-22.

Chapter 2. अम्ल, क्षारक एवं लवण ।


Class 10th के NCERT Book के नोट्स वह पाठगत प्रश्नों के उत्तर वह इस पाठ से जुड़े सभी प्रश्न उत्तर को विस्तार पूर्वक बताया गया है। इस chapter से जुड़ा आपका हर 
doubt clear हो जाएगा।

:- अम्ल, क्षारक एवं लवण -:


Notes:-
अम्ल स्वाद में खट्टे होते हैं तथा यह नीले लिटमस पत्र को लाल कर देते है।
●क्षार स्वाद में कड़वे होते हैं तथा यह लाल लिटमस पत्र को नीला कर देते हैं।
●अम्ल जलीय विलयन में हाइड्रोजन आयन देते हैं जबकि क्षार जलीय विलयन मैं हाइड्रॉक्साइड आयन देते हैं।
● लिटमस पत्र एक प्राकृतिक सूचक होता है जो अम्ल एवं क्षार की पहचान कराता है।
● संश्लेषित सूचक मेथिल ऑरेंज अम्लीय माध्यम में लाल रंग देता है जबकि फीनाल्फथेलिन क्षारीय माध्यम में गुलाबी रंग देता है।
● लिटमस विलयन बैंगनी रंग का रंजक होता है जो थैलोफाइटा समूह के लिचेन पौधे से निकलता है यह न तो अम्ल होता है और न ही क्षार इस विलयन का उपयोग भी अम्ल तथा क्षार की पहचान करने में किया जाता ह ।
● हल्दी भी एक प्राकृतिक सूचक है जो अम्ल एवं क्षार की पहचान कराती है जब श्वेत कपड़े पर लगे सब्जी के धब्बे क्षारीय प्रकृति के साबुन से साफ किए जाते हैं तो वे साफ नहीं होते हैं क्योंकि वे धब्बे क्षारीय प्रकृति के हैं अत: उनके प्रभाव को समाप्त करने के लिए धब्बे पर अम्ल रगड़ते है जिससे वे आसानी से साफ हो जाते हैं क्योंकि अम्ल तथा क्षार एक-दूसरे के प्रभाव को समाप्त कर देते हैं।
● यदि कोई व्यक्ति अम्लता से पीड़ित है तो उसे बैंकिंग सोडे को उपचार हेतु काम में लेना चाहिए क्योंकि यह क्षारीय प्रकृति का होता है जो अम्ल के प्रभाव को समाप्त कर देता है।
● कुछ अन्य प्राकृतिक पदार्थ जैसे लाल पत्ता गोभी, पिटुनिया एवं जेरानियम जैसे फूलों की रंगीन पंखुड़ियां किसी विलयन में अम्ल एवं क्षारक की उपस्थिति को सूचित करती हैं इन्हें अम्ल - क्षारक सूचक कहते हैं।


कुछ अम्लों के प्राकृतिक स्रोत:-
संतरा एवं नीबू में सिट्रिक अम्ल होता है।
•सिरका में एसिटिक अम्ल होता है।
•टमाटर में आॅक्जैलिक अम्ल होता है।
• इमली में टार्टरिक अम्ल होता है।
• दही में लैक्टिक अम्ल होता है। दूध में लेक्टोज शर्करा उपस्थित होती है, इसका लेक्टिक अम्ल में परिवर्तन होने पर दही का निर्माण होता है।
• चींटी व नेटल के डंक में मेथैनोइक अम्ल होता है।
हमारे मुँह में लार ग्रन्थियों से निकलने वाली लार क्षारीय प्रकृति की होती है।

अम्ल एवं क्षारको के रासायनिक गुणधर्म निम्न है-
1. गंधीय सूचक
2. अम्ल एवं क्षार की धातु के साथ क्रिया
3.धातु कार्बोनेट तथा धातु हाइड्रोजनकार्बोनेट कि अम्ल के साथ क्रिया
4. अम्ल एवं क्षारकों में परस्पर क्रिया 
5. अम्लों के साथ धात्विक ऑक्साइडों की क्रिया
6. क्षारकों के साथ अधात्विक ऑक्साइडों की अभिक्रियाएँ।

1.गंधीय सूचक:-
ऐसे पदार्थ जिनकी गंध अम्लीय या क्षारीय  माध्यम में बदल जाती है उन्हें गंधीय सूचक कहते हैं।


2. अम्ल एवं क्षार की धातु के साथ क्रिया:-
अम्ल एवं क्षार धातु से क्रिया करके हाइड्रोजन गैस मुक्त करते हैं तथा संगत लवण बनाते हैं।
इस अभिक्रिया को इस प्रकार लिख सकते हैं-  
अम्ल या क्षार + धातु ---> लवण + हाइड्रोजन गैस!

अम्ल और क्षार की अभिक्रिया

आइए इसे एक प्रयोग द्वारा समझें|
याद रहे की की हाइड्रोजन गैस फट-फट की ध्वनि के साथ जलती है। एक परख नली में 5ml तनु सल्फ्यूरिक अम्ल लेते हैं इसमें दानेदार जिंक(जस्ता) डालते हैं जिंक के दाने सल्फ्यूरिक अम्ल से क्रिया कर गैस मुक्त करते हैं इस गैस को साबुन के पानी से प्रवाहित करने पर बुलबुले बनते हैं। जलती हुई मोमबत्ती को बुलबुलों के पास ले जाने पर ये बुलबुले फट-फट की ध्वनि के साथ फटते हैं तथा हाइड्रोजन गैस का दहन होने लगता है अतः स्पष्ट है कि बुलबुलों में हाइड्रोजन गैस उपस्थित थी| इसी प्रकार क्षार भी धातु से क्रिया करके हाइड्रोजन गैस मुक्त करते हैं अतः स्पष्ट है कि अम्ल तथा क्षार धातु से क्रिया कर संगत लवण बनाते हैं तथा हाइड्रोजन गैस मुक्त करते है।

3.धातु कार्बोनेट तथा धातु हाइड्रोजनकार्बोनेट की अम्ल के साथ क्रिया:-
धातु कार्बोनेट तथा धातु हाइड्रोजनकार्बोनेट अम्लों से क्रिया करके संगत लवण, कार्बन डाइऑक्साइड एवं जल बनाते हैं।

अभिक्रिया:-
धातु कार्बोनेट/ धातु हाइड्रोजनकार्बोनेट --> लवण + कार्बन डाइऑक्साइड + जल
प्राप्त उत्पाद चूना पत्थर, खड़िया एवं संगमरमर, कैल्शियम कार्बोनेट के विविध रूप है।
Science 

4. अम्ल एवं क्षारकों में परस्पर क्रिया:-
अम्ल एवं क्षारक आपस में क्रिया कर लवण तथा जल बनाते हैं इस अभिक्रिया को उदासीनीकरण अभिक्रिया कहते हैं।
उदासीनीकरण अभिक्रिया को इस प्रकार लिख सकते हैं 
अम्ल + क्षारक --> लवण + जल
अम्ल व क्षारक परस्पर क्रिया कर एक दूसरे के प्रभाव को समाप्त कर उदासीन विलयन बनाते हैं। अतः इस अभिक्रिया को उदासीनीकरण अभिक्रिया कहते हैं क्या वास्तव में अम्ल एवं क्षारक एक - दूसरे के प्रभाव को समाप्त कर देते हैं?
प्रयोग अम्ल एवं क्षारकों में परस्पर क्रिया:-
आइए एक प्रयोग के द्वारा समझते हैं-
एक परखनली में 2ml सोडियम हाइड्रोक्साइड(क्षार) का घोल लेते हैं उसमें दो बूंद फिनाॅल्फथैलिन विलयन डालते हैं। फीनोल्फथैलिन विलयन क्षारीय माध्यम में गुलाबी रंग देता है जिससे पता चलता है की वह क्षार है। अब इस विलयन में एक बूंद तनु हाइड्रोक्लोरिक अम्ल की डालते हैं तो देखते हैं कि गुलाबी रंग गायब होने लगता है अर्थात क्षारीय प्रकृति कम होती है। क्योंकि हाइड्रोक्लोरिक अम्ल, सोडियम हाइड्रोक्साइड से क्रिया कर सोडियम क्लोराइड व जल का निर्माण करता है| अब यदि इस विलयन में सोडियम हाइड्रोक्साइड की कुछ बूंदें और डालते हैं तो गुलाबी रंग फिर से आने लगता है अतः स्पष्ट है कि अम्ल एवं क्षार एक दूसरे के प्रभाव को समाप्त करते हैं |

5. अम्लों के साथ धात्विक ऑक्साइडों की क्रिया:-
अम्लों की धात्विक ऑक्साइडों से क्रिया कराने पर ये अम्ल एवं क्षारक की अभिक्रिया की तरह लवण तथा जल बनाते है। चूँकि क्षार एवं अम्ल की अभिक्रिया से लवण व जल बनता है अत: निष्कर्ष निकलता है की धात्विक ऑक्साइड क्षार होते हैं जो अम्लों से क्रिया कर लवण तथा जल बनाते हैं।


6. क्षारकों के साथ अधात्विक ऑक्साइडों की अभिक्रियाएँ:-
अधात्विक ऑक्साइड क्षारकों से क्रिया कर लवण तथा जल बनाते हैं, चूँकि क्षार एवं अम्ल की क्रिया से लवण व जल बनता है अत: निष्कर्ष निकलता है की अधात्विक ऑक्साइड अम्ल होते हैं।


अम्लो  एवं क्षारकों में समानतायें:-
सभी अम्ल धातुओं से क्रिया कर हाइड्रोजन गैस मुक्त करते हैं। अम्लीय विलयन विद्युत् धारा का चालन करता है जिसका कारण अम्ल में उपस्थित हाइड्रोजन धन आयन होते जबकि क्षारीय विलयन विद्युत् धारा का चालन नही करते क्योंकि उनमें हाइड्रोजन धनायनों का अभाव होता है।
अत: निष्कर्ष निकलता है कि जिन यौगिकों में हाइड्रोजन धनायन उपस्थित होते हैं वे सभी यौगिक अम्लीय प्रकृति के होते हैं।

जलीय विलयन में अम्ल व क्षारक कैसे क्रिया करते हैं?
हाइड्रोजन धनायन स्वतंत्र अवस्था में नहीं रहे सकते लेकिन जल के अणुओं के साथ में H+ आयनों के रूप में स्वतंत्र रहे सकते हैं।
अत: निष्कर्ष निकलता है की अम्ल जलीय विलयन में हाइड्रोजन धनायन देते हैं।

क्षारकों को जल में घोलने पर निम्न अभिक्रिया होती है:-
क्षार जल में हाइड्रॉक्साइड आयन देते हैं। सभी क्षारक जल में नहीं घुलते वे क्षारक जो जल में घुलनशील होते हैं क्षार कहलाते हैं ये साबुन की तरह स्पर्श होते हैं। इन्हें छूना या चखना नहीं चाहिए क्योंकि ये अत्यधिक हानिकारक होते हैं।
चूँकि अम्ल जलीय विलयन में हाइड्रोजन (H+) आयन देते हैं तथा क्षारक जलीय विलयन में हाइड्रोक्साइड(OH-) आयन देते हैं अतः उदासीनीकरण अभिक्रिया को इस प्रकार लिख सकते हैं -
 अम्ल + क्षारक --> लवण + जल
जल में 'अम्ल क्षारक' मिलाने पर अत्यधिक ऊष्मा उत्पन्न होती है। अतः यह एक उष्माक्षेपी प्रक्रम है।
क्या वास्तव में जल में अम्ल या क्षारक मिलाने पर ऊष्मा उत्पन्न होती है आइए इसे एक प्रयोग द्वारा समझें
बीकर में 10ml जल लेकर इसे हिलाते हुए इसमें धीरे-धीरे अम्ल या क्षार की कुछ बूंदें डालते हैं तो देखते हैं कि कांच का बीकर गर्म होने लगता है चूँकि उष्माक्षेपी अभिक्रिया में ऊष्मा उत्पन्न होती है अतः यह एक उष्माक्षेपी प्रक्रम है।
जल में अम्ल या क्षारक मिलाने पर प्रति इकाई आयतन में आयनों की संख्या में कमी आती है इस प्रक्रिया को तनुकरण कहते हैं तथा इस प्रक्रिया में अम्ल या क्षार तनुकृत होते हैं।

अम्ल एवं क्षारकों के विलयन की प्रबलता:-
सूचकों का उपयोग कर हम यह ज्ञात कर सकते हैं कि कोई विलयन अम्ल है अथवा क्षार लेकिन वह प्रबल है अथवा दुर्बल इसकी जाँच सूचकों की सहायता से नहीं कर सकते।
किसी विलयन में उपस्थित हाइड्रोजन आयनों की सांद्रता ज्ञात करने के लिए एक स्केल विकसित किया गया जिसे pHस्केल कहते हैं। यह सार्वत्रिक सूचकों का मिश्रण होता है। pHस्केल हाइड्रोजन आयन की विभिन्न सांद्रताओं को विभिन्न रंगों से प्रदर्शित करता है। जिससे यह पता चलता है कि कोई विलयन प्रबल है अथवा दुर्बल। pHमें P सूचक है जो जर्मन भाषा का शब्द है जिसका अर्थ शक्ति होता है।
यदि किसी विलयन के pH का मान 7 से कम है तो वह विलयन अम्लीय pH का मान 7 है तो उदासीन तथा pHमान 7 से अधिक है तो विलयन क्षारीय होता है। 
pH मान घटने पर अम्लीय प्रकृति में वृद्धि होती है तथा क्षारीय प्रकृति में कमी आती है। pHमान जितना कम होता है अम्ल उतना ही प्रबल होता है।
pH मान बढ़ने पर क्षारीय प्रकृति में वृद्धि होती है। तथा अम्लीय प्रकृति में कमी आती है। pHमान जितना अधिक होता है क्षार उतना ही प्रबल होता है।

कुछ मुख्य पदार्थों के pHमान
जठर रस का pHमान लगभग 1.2 होता है। अत: यह प्रबल अम्ल है।
नींबू के रस का pHमान लगभग 2.2 होता है। अत: यह दुर्बल अम्ल है।
शुद्ध जल का pHमान 7.4 होता है। अत: यह लगभग उदासीन है।
रक्त का pHमान 7.4 होता है।
मिल्क ऑफ़ मैग्नीशिया का pHमान 10 होता है। अत: यह दुर्बल क्षार है।
सोडियम हाइड्रॉक्साइड का pHमान 14 होता है। अत: यह प्रबल क्षार है।

लवणों का pH मान:-
लवणों का pHमान अभिक्रिया में भाग लेने वाले अम्ल एवं क्षारकों की प्रबलताओं पर निर्भर करता है। यदि अभिक्रिया में भाग लेने वाले अम्ल एवं क्षार दोनों प्रबल हों तो उदासीन लवण का निर्माण होता है। प्रबल अम्ल एवं दुर्बल क्षार की क्रिया से प्राप्त लवण अम्लीय होता है। तथा प्रबल क्षार एवं दुर्बल अम्ल की क्रिया से प्राप्त लवण क्षारीय होता है।

अम्ल तथा क्षारकों की प्रबलता
अम्ल तथा क्षारकों की प्रबलता विलयन में उपस्थित क्रमश: हाइड्रोजन आयनों तथा हाइड्रॉक्साइड आयनों पर निर्भर करती है।
विलयन (जल) में अधिक संख्या में हाइड्रोजन आयन देने वाले अम्ल, प्रबल अम्ल तथा कम संख्या में हाइड्रोजन आयन देने वाले अम्ल, दुर्बल अम्ल कहलाते हैं।
विलयन में अधिक संख्या में हाइड्रॉक्साइड आयन देने वाले क्षार, प्रबल क्षार तथा कम संख्या में हाइड्रॉक्साइड आयन देने वाले क्षार, दुर्बल क्षार कहलाते हैं।

हमारे दैनिक जीवन में pH के महत्व
हमारे दैनिक जीवन में पी एच के निम्न महत्व हैं-

1. पौधों एवं पशुओं की pH के प्रति संवेदनशीलता
हमारे शरीर का pH मान लगभग 7 से 7.8 की परास में होता है। pH का मान घटने या बढ़ने पर हमें कुछ अस्वभाविक लक्षण दिखाई देते हैं। तथा हमारे शरीर में होने वाली क्रियाओं पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।
वर्षा के जल का pH मान 5.6 से कम हो हो तो ऐसी वर्षा को अम्लीय वर्षा कहते हैं। इस वर्षा के जल से जीव धारियों की उत्तरजीविता कठिन हो जाती है। तथा जलीय जीव मृत्यु को भी प्राप्त हो जाते हैं।

2. बगीचे की मिट्टी का pH
अच्छी उपज के लिए पौधों को एक विशिष्ट pH परास की आवश्यकता होती है। पौधों के वृद्धि एवं विकास का लिए उदासीन मृदा उपयुक्त होती है।

3. हमारे पाचन तंत्र का pH
हमारे आमाशय से हाइड्रोक्लोरिक अम्ल(प्रबल अम्ल) निकलता है। जो बिना नुकसान पहुंचाए भोजन के पाचन में सहायक होता है। अपच की स्थिति में उदर (आमाशय) अधिक मात्रा में हाइड्रोक्लोरिक अम्ल उत्पन्न करता है। जिसके कारण उदर में दर्द एवं जलन होने लगती है। इस दर्द से मुक्त होने के लिए एन्टैसिड जैसे क्षारक का उपयोग करते हैं।

4. pH के कारण दंत क्षय:-
मुंह के pH का मान 5.5 से कम होने पर दांतो का क्षय होने लगता है। दांतों का इनैमल कैल्शियम फॉस्फेट का बना होता है जो जल में नहीं घुलता यह शरीर का सबसे कठोर पदार्थ है। मुंह में उपस्थित बैक्टीरिया भोजन के पश्चात मुंह में बचे अवशिष्ट एवं शर्करा का अपघटन कर अम्ल उत्पन्न करते हैं जिससे मुँह का pH मान 5.5 से कम होने लगता है इस स्थिति में दांतों का क्षय होने लगता है। क्षारीय प्रकृति के दंत मंजन से दाँतों का क्षय होने से रोका जा सकता है। (भोजन के पश्चात दांत साफ करने से अवशिष्ट साफ हो जाते हैं इसलिए अम्ल भी बैक्टीरिया उत्पन्न नहीं करते हैं। अत: दाँतों का क्षय भी नहीं होता है।)

5. पशु एवं पौधों द्वारा उत्पन्न रसायनों से आत्मरक्षा
मधुमक्खी का डंक एक अम्ल छोड़ता है। जिससे दर्द का अनुभव होता है। डंक मारे गये स्थान पर बैंकिंग सोड़ा जैसा दुर्बल क्षारक रगड़ने से आराम मिल जाता है।

साधारण नमक से रसायन:-
साधारण नमक का रासायनिक सूत्र NaCl होता है। यह एक लवण है। जिसे हाइड्रोक्लोरिक अम्ल एवं सोडियम हाइड्रोक्साइड की अभिक्रिया द्वारा प्राप्त करते हैं। भारत के स्वतंत्रता संग्राम में नमक एक महत्वपूर्ण प्रतीक था।
हमारे दैनिक जीवन में उपयोग आने वाले कई पदार्थों जैसे सोडियम हाइड्रोक्साइड, बेकिंग सोडा, वाशिंग सोडा, विरंजक चूर्ण आदि के निर्माण के लिए नमक एक कच्चा पदार्थ है|

पाठ गत प्रशन उत्तर :-

1. कठोर जल को मृदु करने के लिए किस सोडियम यौगिक का उपयोग किया जाता है?
कठोर जल को मृदु करने के लिए सोडियम कार्बोनेट का उपयोग किया जाता है।

2. उस पदार्थ का नाम बताइए जो क्लोरीन से क्रिया करके विरंजक चूर्ण बनाता है?
कैल्सियम ऑक्साइड क्लोरीन से क्रिया करके विरंजक चूर्ण का निर्माण करता है।

3. धातु के साथ अम्ल की अभिक्रिया होने पर कौनसी गैस निकलती है?
धातु के साथ अम्ल की क्रिया होने पर हाइड्रोजन गैस निकलती है।

4. फिनोल्फथेलीन किस प्रकृति के विलयन में गुलाबी रंग देता है?
फिनोल्फथेलीन क्षारकीय प्रकृति के विलयन में गुलाबी रंग देता है।

5. ब्राइन किसे कहते है़ं?
सोडियम क्लोराइड के सान्द्र जलीय विलयन को ब्राइन कहते हैं।

6. कोई तरल पदार्थ अंडे के पिसे हुए कवच से अभिक्रिया कर एक गैस उत्पन्न करता है जो चूने के पानी को दूधिया कर देती हैं, इस द्रव पदार्थ का नाम क्या होगा?
HCl अम्ल। अभिक्रिया में निकलने वाली गैस का नाम कार्बन डाइऑक्साइड होगा।

7. क्या कारण है की लार का pH मान भोजन से पहले अधिक व भोजन के बाद कम हो जाता है?
लार का  pH मान भोजन से पहले 7.4 व भोजन के बाद 5.8 रह जाता है। क्योंकी भोजन के पश्चात मुँह में उपस्थित बैक्टीरिया बचे हुए अवशिष्ट एवं शर्कराओं का अपघटन कर अम्ल उत्पन्न करते हैं जिससे लार की अम्लीय प्रकृति में वृद्धि हो जाती है और pH मान में कमी आ जाती है।

8. अम्लीय विलयन में लाल रंग देने वाले सूचक का नाम बताइए।
अम्लीय विलयन में मेथिल ऑरेंज नामक सूचक लाल रंग देता है।

9. नेटल के बाल अथवा डंक में पाए जाने वाले अम्ल का नाम बताइए।
नेटल के डंक में मैथेनोइक अम्ल या फार्मिक अम्ल पाया जाता है।

10. चूने के पानी में अधिक कार्बन डाइऑक्साइड प्रवाहित कर दिए जाने पर दूधिया रंग समाप्त हो जाता है, क्यों?
चूने के पानी में अधिक मात्रा में CO2 गैस प्रवाहित कर दिए जाने पर कैल्सियम हाइड्रोजन कार्बोनेट बनता है जो चूने के पानी के दूधियापन को समाप्त कर विलयन को स्वच्छ कर देता है।

11. क्षार एवं अम्ल द्वारा लिटमस पत्र के रंग में क्या परिवर्तन हो जाता है?
अम्ल नीले लिटमस पत्र को लाल  कर देते हैं। तथा क्षार, लाल लिटमस पत्र को नीला कर देते हैं।

12. दही बनने पर pH का मान कम क्यों हो जाता है?
ताजे दूध का pH  6 होता है। लेकिन दही बनने पर लैक्टिक अम्ल बनने के कारण pH 6 से कम हो जाता है।

13. सार्वत्रिक सूचक क्या है?
सार्वत्रिक सूचक कई भिन्न भिन्न सूचकों का मिश्रण है। सार्वत्रिक सूचक पत्रक सम्पूर्ण pH मापक्रम के विभिन्न pH मानों के लिए भिन्न-भिन्न रंग देता है। 0 के लिए इसका रंग गाढा लाल, 7 के लिए हरा तथा 14 के लिए इसका रंग बैंगनी होता है।

14. प्रबल अम्ल व दुर्बल क्षारों से बने लवण का pH  कितना होता है?
प्रबल अम्ल व दुर्बल क्षार से बने लवण का pH मान 7 से कम होता है क्योंकि अम्ल या क्षार में से जो भी प्रबल होगा, लवण की प्रकृति भी उसी के अनुरूप अम्लीय या क्षारीय होगी। प्रबल अम्ल व प्रबल क्षार से बनने वाला लवण उदासीन प्रकृति प्रदर्शित करता है।

15. खट्टे खाद्य पदार्थों को तांबे एवं पीतल के बर्तनों में क्यों नहीं रखना चाहिए?
खट्टे पदार्थों को पीतल, तांबे या अन्य धातुओं के बर्तनों में नहीं रखा जाता क्योंकि खट्टे पदार्थों में मौजूद अम्ल, धातु के बर्तन से क्रिया कर विषैले धातु यौगिक बनाते हैं। जो खाद्य विषाक्तता उत्पन्न कर हमारे स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकते हैं।

16. HCl, HNO3 आदि यौगिक जलीय विलयन में अम्लीय गुण प्रदर्शित करते हैं जबकि ग्लूकोज व एल्कोहल नहीं। क्यों ?
HCl, HNO3 आदि यौगिक जलीय विलयन में हाइड्रोजन धनायन (H+) आयन देते हैं अतः वे अम्लों की श्रेणी में रखे जाते हैं जबकि एल्कोहल व ग्लूकोज में हाइड्रोजन होते हुए भी इन्हे अम्लों की श्रेणी में नहीं रखा जाता है, क्योंकि ये यौगिक जलीय विलयन में हाइड्रोजन धनायन नहीं देते हैं।

17. शुष्क HCl गैस, शुष्क लिटमस पत्र के रंग को परिवर्तित क्यों नहीं करती ?
शुष्क हाइड्रोक्लोरिक गैस शुष्क लिटमस पत्र के रंग को नहीं बदलती क्योंकि जल की अनुपस्थिति में HCl गैस अम्लीय व्यवहार प्रदर्शित नहीं करती। शुष्क अवस्था में HCl गैस H+(aq) आयन नहीं देती और हम जानते हैं कि लिटमस पत्र के रंग को परिवर्तित करने के लिए H+(aq) आयन का होना जरूरी है। अतः शुष्क HCl गैस लिटमस पत्र के रंग को परिवर्तित नहीं करती किन्तु यदि लिटमस पत्र गीला लिया जाए या शुष्क HCl गैस को पानी में घोल दिया जाए तो यह लिटमस पत्र के रंग को नीले से लाल में परिवर्तित कर अम्लीय गुण प्रदर्शित करती है।

18. अम्ल किन्हें कहते हैं? किन्हीं दो प्रबल अम्लों के नाम लिखिए। अम्लों के गुण लिखिए?
अम्ल वे होते हैं, जो जलीय विलयन में H+(aq) आयन देते हैं तथा नीले लिटमस को लाल कर देते हैं।
प्रबल अम्लों के उदाहरण- HCl, H2SO4

अम्लों के गुण-
1. अम्ल धातु के साथ अभिक्रिया करके हाइड्रोजन गैस देते हैं।
  अम्ल + धातु → लवण + हाइड्रोजन गैस
  
2. अम्ल किसी धातु कार्बोनेट तथा धातु हाइड्रोजन कार्बोनेट के साथ अभिक्रिया करके कार्बन डाइऑक्साइड गैस देते हैं।
अम्ल + धातु कार्बोनेट या धातु हाइड्रोजन कार्बोनेट → लवण + कार्बन डाइऑक्साइड + जल

19. CaOCl2 यौगिक का नाम व उपयोग लिखिए?
CaOCl2 यौगिक विरंजक चूर्ण है।  जिसका उपयोग वस्त्र उद्योग में सूती एवं लिनेन के विरंजन के लिए, कागज फैक्ट्री में लकड़ी के मज्जा एवं लाउंड्री में कपड़ों के विरंजन के लिए, उद्योगों में उपचायक के रूप में, पीने वाले जल को जीवाणुओं से मुक्त करने के लिए रोगाणुनाश्क के रूप में,आदि में किया जाता है।

अन्य महत्वपूर्ण प्रशन:-

1. ऐसे दो यौगिकों के नाम बताइए जिनमे हाइड्रोजन है, लेकिन वे अम्ल नहीं हैं तथा उनके विलयन में विद्युत का चालन नहीं होता|
एल्कोहाँल (C2H5OH) तथा ग्लूकोज (C6H12O6)

2. हाइड्रोजन आयन की सान्द्रता मापने की विधि किस वैज्ञानिक द्वारा दी गई थी?
सोरेन्सन।

3. टमाटर के रस का pH कितना होता है?
टमाटर का रस अम्लीय होता है| इसका pH मान 4.0-4.4 होता है।

4. मनुष्य के मूत्र के pH का मान बताइए|
5.5-7.5

5. Zn की NaOH विलयन से क्रिया करवाने पर H2 गैस प्राप्त होती है| इसका समीकरण होगा|
Zn(s) + 2NaOH(aq) = Na2ZnO2(aq) + H2

6. धातुओं के आँक्साइड की प्रकृति सामान्यत: कैसी होती है? दो उदाहरण दीजिए|
धातुओं के आँक्साइड सामान्यत: क्षारीय प्रकृति के होते हैं, जैसे- CaO, MgO

7. प्रबल अम्लों के दो उदाहरण दीजिए|
HCl (हाइड्रोक्लोरिक अम्ल), H2SO4(सल्फ्यूरिक अम्ल)

8. प्रबल क्षारों के दो उदाहरण दीजिए|
NaOH (सोडियम हाइड्रोक्साइड), KOH (पोटेशियम हाइड्रोक्साइड)

9. दुर्बल अम्लों तथा दुर्बल क्षारों के दो-दो उदाहरण दीजिए|
दुर्बल अम्ल- CH3COOH, HCN 
दुर्बल क्षार- NH4OH, Mg(OH)2

10. सार्वत्रिक/सार्वभौम सूचक क्या होते हैं? लिखिए|
ये अनेक सूचकों का मिश्रण होते हैं| ये किसी विलयन में H+ आयन की विभिन्न सान्द्रता को विभिन्न रंगों में प्रदर्शित करते हैं|

11. जठर रस की pH कितनी होती है?
जठर रस की pH लगभग 1.2 होती है|

12. टमाटर में कौनसा अम्ल पाया जाता है?
टमाटर में आँक्सैलिक अम्ल पाया जाता है|

13. सोडियम वर्ग के चार लवण बताइए|
सोडियम सल्फेट, सोडियम क्लोराइड, सोडियम नाइट्रेट, सोडियम कार्बोनेट।

14. सोडियम एसीटेट का जलीय विलयन क्षारीय होता है| क्यों?
सोडियम एसीटेट (CH3COONa), दुर्बल अम्ल (CH3COOH) तथा प्रबल क्षार (NaOH) से बना लवण है अत: इसका जलीय विलयन क्षारीय होगा|

15. सोडियम क्लोराइड के जलीय विलयन में विद्युत प्रवाहित करने पर कैथोड तथा एनोड पर कौनसी गैस प्राप्त होती है?
सोडियम क्लोराइड के जलीय विलयन में विद्युत प्रवाहित करने पर कैथोड पर H2 तथा एनोड पर Cl2 गैस बनती है|

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